चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Thursday, February 14, 2008

वेलन्टाईन डे...

वेलन्टाईन डे पर संत वेलनटाईन को मेरी श्रद्धांजली....


रोक सकेगा कौन इन्हे
ये आंधी और तूफ़ान है
चल रहे है भेड़ चाल ये
आजकल के नौजवान है...

पहले पहल ये परफ़्यूम देकर
अपना प्यार दिखाते है
किस डे पर भी किस देकर
सबसे प्यार जताते है
हग डे पर भी गले मिलकर
बन जाते है अपने से
वेलन्टाईन डे पर इनके
पूरे हो जाते है सपने

प्यार घूमाना प्यार फ़िराना
प्यार ही इनका मुकाम है
रोक सकेगा कौन इन्हे
ये आँधी और तूफ़ान हैं

बीत गया समय पुराना
आज चलन है इनका
भूल गये सब रिश्ते-नाते
नया दौर फ़ैशन का
गर्ल फ़्रेंड की जी हुजूरी
यही कर्तव्य है इनका
एक छूटी दूजी बनाई
यही धर्म है इनका

माँ की डाँट पिता का पहरा
इनके लिये अपमान है
रोक सकेगा कौन इन्हे
ये आँधी और तूफ़ान है

बालो पर जो हाथ घुमाये
वो माँ इन्हे न भाती है
अनुशासन की सीख दे
वो बात इन्हे सताती है
कैसे गुरू कहाँ का चेला
सब बने संगी-साथी है
जैसी दिक्षा वैसी शिक्षा
सब गुड़-गौबर-माटी है

खुशी मनाएं वेलन्टाईन की
जिसने दिया बलिदान है
रोक सकेगा कौन इन्हे
ये आँधी और तूफ़ान है...

सुनीता शानू

अंतिम सत्य